अध्याय 10: तरलों के यांत्रिक गुण (Mechanical Properties of Fluids)

परिचय

पिछले अध्याय में हमने ठोसों के यांत्रिक गुणों का अध्ययन किया। इस अध्याय में, हम तरलों (द्रव और गैस) के व्यवहार और उनके यांत्रिक गुणों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। तरल पदार्थ अपने कंटेनर का आकार ले लेते हैं और आसानी से बहते हैं, जो उन्हें ठोसों से अलग करता है। हम दाब (Pressure), उत्प्लावकता (Buoyancy), पृष्ठ तनाव (Surface Tension), श्यानता (Viscosity), और बरनौली के सिद्धांत (Bernoulli's Principle) जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाओं का अध्ययन करेंगे, जो तरल पदार्थों के स्थिर और गतिशील व्यवहार को समझने के लिए आवश्यक हैं।

10.1 तरल (Fluids)

**तरल** वह पदार्थ है जो बह सकता है। इसमें द्रव (liquids) और गैस (gases) शामिल हैं। ठोसों के विपरीत, तरलों का कोई निश्चित आकार नहीं होता है और वे जिस पात्र में रखे जाते हैं, उसी का आकार ले लेते हैं। तरलों को इस आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है कि वे संपीड़ित (compressible) हैं या असंपीड़ित (incompressible), और श्यान (viscous) हैं या आदर्श (ideal)।

10.2 दाब (Pressure)

**दाब** प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाला लंबवत बल है। $$ P = \frac{\text{बल (Force)}}{\text{क्षेत्रफल (Area)}} = \frac{F}{A} $$ दाब की SI इकाई **न्यूटन प्रति वर्ग मीटर (N/m$^2$)** या **पास्कल (Pa)** है। यह एक अदिश राशि है।

पास्कल का नियम (Pascal's Law)

पास्कल का नियम बताता है कि एक बंद तरल में किसी भी बिंदु पर लगाया गया दाब बिना किसी नुकसान के तरल के सभी बिंदुओं पर और पात्र की दीवारों पर समान रूप से प्रसारित होता है। यह हाइड्रोलिक लिफ्ट (hydraulic lift) और हाइड्रोलिक ब्रेक (hydraulic brake) जैसे उपकरणों का आधार है।

10.3 तरल स्तंभ के कारण दाब (Pressure due to a Fluid Column)

एक स्थिर तरल स्तंभ द्वारा उत्पन्न दाब तरल की गहराई ($h$), तरल के घनत्व ($\rho$), और गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण ($g$) पर निर्भर करता है: $$ P = \rho g h $$ यह सूत्र दर्शाता है कि एक ही गहराई पर, तरल में सभी बिंदुओं पर दाब समान होता है, और यह गहराई बढ़ने पर बढ़ता है।

10.4 उत्प्लावकता और आर्किमिडीज का सिद्धांत (Buoyancy and Archimedes' Principle)

**उत्प्लावकता (Buoyancy)** किसी तरल में डूबी हुई वस्तु पर तरल द्वारा ऊपर की ओर लगाया गया बल है। यह बल वस्तु के डूबे हुए भाग द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।

**आर्किमिडीज का सिद्धांत (Archimedes' Principle):** जब किसी वस्तु को किसी तरल में आंशिक रूप से या पूरी तरह से डुबोया जाता है, तो उस पर ऊपर की ओर एक उत्प्लावन बल कार्य करता है, जिसका परिमाण वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है। यह सिद्धांत यह समझने के लिए महत्वपूर्ण है कि वस्तुएं तरलों में क्यों तैरती या डूबती हैं।

Illustration showing pressure in a fluid column and an object experiencing buoyant force.

10.5 पृष्ठ तनाव (Surface Tension)

**पृष्ठ तनाव** तरल की सतह का वह गुण है जिसके कारण तरल की मुक्त सतह न्यूनतम संभव क्षेत्रफल को घेरने का प्रयास करती है और एक खिंची हुई झिल्ली की तरह व्यवहार करती है। यह तरल अणुओं के बीच के संसंजक बलों (cohesive forces) के कारण होता है।

पृष्ठ तनाव ($S$) को तरल की सतह पर प्रति इकाई लंबाई में लगने वाले बल के रूप में परिभाषित किया जाता है: $$ S = \frac{F}{L} $$ इसकी SI इकाई **न्यूटन प्रति मीटर (N/m)** है। पृष्ठ तनाव के कारण ही पानी की बूंदें गोलाकार होती हैं, और कीड़े पानी की सतह पर चल पाते हैं।

10.6 तरल गतिकी (Fluid Dynamics)

**तरल गतिकी** गति में तरल पदार्थों का अध्ययन है। इसमें प्रवाह के विभिन्न प्रकारों का अध्ययन किया जाता है, जैसे कि धारा रेखीय प्रवाह (streamline flow) और विक्षुब्ध प्रवाह (turbulent flow)।

सांतत्य समीकरण (Equation of Continuity)

एक असंपीड़ित, अशांत (non-viscous) तरल के अपरिवर्तनीय (steady) प्रवाह के लिए, एक नली में किसी भी अनुप्रस्थ-काट पर तरल के प्रवाह का आयतन प्रवाह दर (volume flow rate) स्थिर रहता है: $$ A_1 v_1 = A_2 v_2 $$ जहाँ $A$ अनुप्रस्थ-काट क्षेत्र है और $v$ तरल का वेग है। यह द्रव्यमान संरक्षण के नियम पर आधारित है।

बरनौली का सिद्धांत (Bernoulli's Principle)

बरनौली का सिद्धांत ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित है जो एक असंपीड़ित, अशांत तरल के धारा रेखीय प्रवाह के लिए लागू होता है। यह बताता है कि एक धारा रेखा के अनुदिश, दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा प्रति इकाई आयतन, और स्थितिज ऊर्जा प्रति इकाई आयतन का योग स्थिर रहता है: $$ P + \frac{1}{2}\rho v^2 + \rho gh = \text{स्थिरांक} $$ जहाँ $P$ दाब, $\rho$ घनत्व, $v$ वेग, $g$ गुरुत्वाकर्षण त्वरण, और $h$ ऊँचाई है। यह सिद्धांत विमान के पंखों के ऊपर लिफ्ट (lift) और वेंचुरीमीटर (Venturimeter) जैसे कई अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण है।

10.7 श्यानता (Viscosity)

**श्यानता** किसी तरल का वह गुण है जिसके कारण वह अपनी विभिन्न परतों के बीच सापेक्ष गति का विरोध करता है। यह तरल की "आंतरिक घर्षण" है। उच्च श्यानता वाले तरल (जैसे शहद) धीमी गति से बहते हैं, जबकि कम श्यानता वाले तरल (जैसे पानी) तेजी से बहते हैं।

श्यानता को श्यानता गुणांक ($\eta$) द्वारा मापा जाता है, जिसकी SI इकाई **पॉइज़ेयूली (Poiseuille)** या **पास्कल-सेकंड (Pa s)** है।

स्टोक्स का नियम (Stokes' Law)

स्टोक्स का नियम एक तरल में गिरने वाली एक गोलाकार वस्तु पर लगने वाले श्यान बल ($F_v$) का वर्णन करता है: $$ F_v = 6 \pi \eta r v $$ जहाँ $\eta$ तरल की श्यानता, $r$ वस्तु की त्रिज्या, और $v$ वस्तु का वेग है। यह नियम श्यानता को मापने और तरल में वस्तुओं की टर्मिनल वेग (terminal velocity) को निर्धारित करने में उपयोगी है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. दाब की SI इकाई क्या है?

    दाब की SI इकाई पास्कल (Pa) है।

  2. पास्कल का नियम किस पर आधारित है?

    पास्कल का नियम यह बताता है कि एक बंद तरल में किसी भी बिंदु पर लगाया गया दाब तरल के सभी बिंदुओं पर समान रूप से प्रसारित होता है।

  3. उत्प्लावकता बल की दिशा क्या होती है?

    उत्प्लावकता बल की दिशा हमेशा तरल में डूबी हुई वस्तु पर ऊपर की ओर होती है।

  4. पृष्ठ तनाव के कारण पानी की बूंदों का आकार कैसा होता है?

    पृष्ठ तनाव के कारण पानी की बूंदें गोलाकार होती हैं।

  5. क्या बरनौली का सिद्धांत ऊर्जा संरक्षण पर आधारित है?

    हाँ, बरनौली का सिद्धांत ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. श्यानता से आप क्या समझते हैं?

    श्यानता किसी तरल का वह गुण है जिसके कारण वह अपनी विभिन्न परतों के बीच सापेक्ष गति का विरोध करता है। यह तरल की आंतरिक घर्षण के समान है, जो उसके बहने के प्रतिरोध को मापता है।

  2. सांतत्य समीकरण क्या दर्शाता है?

    सांतत्य समीकरण बताता है कि एक असंपीड़ित और अशांत तरल के अपरिवर्तनीय प्रवाह में, किसी भी अनुप्रस्थ-काट पर तरल के प्रवाह की आयतन दर स्थिर रहती है ($A_1v_1 = A_2v_2$)। यह द्रव्यमान संरक्षण का परिणाम है।

  3. आर्किमिडीज का सिद्धांत क्यों महत्वपूर्ण है?

    आर्किमिडीज का सिद्धांत बताता है कि तरल में डूबी वस्तु पर उत्प्लावन बल विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है। यह सिद्धांत यह समझाने में महत्वपूर्ण है कि वस्तुएं तरलों में क्यों तैरती या डूबती हैं, और इसका उपयोग जहाजों और पनडुब्बियों के डिजाइन में होता है।

  4. केशिकात्व क्या है?

    केशिकात्व एक संकीर्ण नली (केशिका नली) में तरल के ऊपर उठने या नीचे गिरने की परिघटना है। यह तरल के संसंजक और आसंजक बलों के बीच संतुलन और पृष्ठ तनाव के कारण होता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. बरनौली के सिद्धांत को विस्तृत रूप से समझाएँ और इसके कुछ व्यावहारिक अनुप्रयोगों का उल्लेख करें।

    बरनौली का सिद्धांत तरल गतिकी में एक मौलिक सिद्धांत है जो ऊर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित है। यह एक असंपीड़ित, अशांत (non-viscous) और अपरिवर्तनीय (steady) प्रवाह में एक धारा रेखा के अनुदिश तरल के व्यवहार का वर्णन करता है। सिद्धांत कहता है कि एक धारा रेखा के अनुदिश, दाब ऊर्जा ($P$), गतिज ऊर्जा प्रति इकाई आयतन ($\frac{1}{2}\rho v^2$), और स्थितिज ऊर्जा प्रति इकाई आयतन ($\rho gh$) का योग हमेशा स्थिर रहता है। इसे गणितीय रूप से $P + \frac{1}{2}\rho v^2 + \rho gh = \text{स्थिरांक}$ के रूप में व्यक्त किया जाता है, जहाँ $P$ तरल का दाब, $\rho$ उसका घनत्व, $v$ उसकी चाल, $g$ गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण, और $h$ संदर्भ बिंदु से ऊँचाई है। इस सिद्धांत का तात्पर्य है कि जहाँ तरल तेजी से बहता है (उच्च वेग), वहाँ उसका दाब कम होता है, और जहाँ वह धीरे-धीरे बहता है (कम वेग), वहाँ उसका दाब अधिक होता है, बशर्ते ऊँचाई में कोई बड़ा परिवर्तन न हो।

    बरनौली के सिद्धांत के कई महत्वपूर्ण व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं। इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण विमान के पंखों द्वारा उत्पन्न लिफ्ट है। पंख के ऊपर की सतह पर हवा पंख के नीचे की सतह की तुलना में तेजी से चलती है, जिससे पंख के ऊपर कम दाब और नीचे अधिक दाब बनता है, जिसके परिणामस्वरूप ऊपर की ओर एक लिफ्ट बल उत्पन्न होता है। अन्य अनुप्रयोगों में वेंचुरीमीटर शामिल है, जिसका उपयोग पाइपों में तरल प्रवाह की दर को मापने के लिए किया जाता है; बुन्सन बर्नर, जो गैस के प्रवाह के वेग में वृद्धि करके हवा को खींचता है; और स्प्रेयर और एटमाइज़र, जो तेज गति से तरल को महीन फुहार में परिवर्तित करते हैं। यह सिद्धांत इंजीनियरिंग, मौसम विज्ञान और चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में तरल प्रवाह के विश्लेषण और डिजाइन के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है।

  2. पृष्ठ तनाव क्या है? इसे प्रभावित करने वाले कारक और इसके कुछ प्राकृतिक उदाहरणों का वर्णन करें।

    पृष्ठ तनाव (Surface Tension) तरल की मुक्त सतह का एक अद्वितीय गुण है जिसके कारण तरल एक खिंची हुई झिल्ली की तरह व्यवहार करता है और न्यूनतम संभव सतह क्षेत्र को प्राप्त करने का प्रयास करता है। यह गुण तरल के अणुओं के बीच कार्यरत संसंजक बलों (cohesive forces) के कारण उत्पन्न होता है। तरल के भीतर के अणु चारों ओर से अन्य अणुओं द्वारा समान रूप से आकर्षित होते हैं, जिससे शुद्ध बल शून्य होता है। हालाँकि, सतह पर मौजूद अणु केवल नीचे और किनारों से आकर्षित होते हैं, जिससे सतह के अणुओं पर भीतर की ओर एक शुद्ध बल कार्य करता है। यह भीतर की ओर बल सतह को संकुचित करने और उसका क्षेत्रफल कम करने का प्रयास करता है, जिससे सतह पर एक तनाव उत्पन्न होता है। पृष्ठ तनाव को तरल की सतह पर प्रति इकाई लंबाई में लगने वाले बल के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसकी SI इकाई न्यूटन प्रति मीटर (N/m) है।

    पृष्ठ तनाव को कई कारक प्रभावित करते हैं। **तापमान** बढ़ने पर आमतौर पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है, क्योंकि उच्च तापमान पर अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है और संसंजक बल कमजोर पड़ जाते हैं। **अशुद्धियाँ** भी पृष्ठ तनाव को प्रभावित करती हैं; उदाहरण के लिए, साबुन या डिटर्जेंट जैसे सर्फेक्टेंट (surfactants) पानी का पृष्ठ तनाव बहुत कम कर देते हैं, जिससे कपड़े धोना आसान हो जाता है। कुछ अशुद्धियाँ (जैसे सोडियम क्लोराइड) पृष्ठ तनाव को बढ़ा भी सकती हैं। पृष्ठ तनाव के कई प्राकृतिक और व्यावहारिक उदाहरण हैं। पानी की बूंदों का लगभग गोलाकार आकार, पारे की बूंदों का अत्यधिक गोलाकार होना, और कुछ कीड़ों का पानी की सतह पर चलना (उनके कम वजन और पानी के उच्च पृष्ठ तनाव के कारण) पृष्ठ तनाव के ही परिणाम हैं। इसके अलावा, केशिकात्व, जिसमें तरल एक संकीर्ण नली में ऊपर उठता है (जैसे पौधों में पानी का ऊपर चढ़ना), पृष्ठ तनाव और आसंजक बलों के परस्पर क्रिया के कारण होता है।


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