अध्याय 14: दोलन (Oscillations)

परिचय

**दोलन** या कंपन (vibration) एक प्रकार की आवर्त गति (periodic motion) है जिसमें कोई वस्तु एक निश्चित साम्यावस्था बिंदु (equilibrium position) के आगे-पीछे गति करती है। दैनिक जीवन में दोलन के कई उदाहरण हैं, जैसे झूले की गति, घड़ी के पेंडुलम की गति, गिटार के तार का कंपन, और परमाणु की गति। यह अध्याय दोलन गति के मूलभूत सिद्धांतों, विशेष रूप से **सरल आवर्त गति (Simple Harmonic Motion - SHM)**, अवमंदित दोलनों (damped oscillations), प्रणोदित दोलनों (forced oscillations), और अनुनाद (resonance) पर ध्यान केंद्रित करेगा।

14.1 आवर्त गति (Periodic Motion)

**आवर्त गति** वह गति है जो निश्चित समय अंतरालों पर स्वयं को दोहराती है। इन समय अंतरालों को **आवर्तकाल (Time Period - T)** कहते हैं। आवर्त गति के कुछ उदाहरण ग्रहों की सूर्य के चारों ओर गति, घड़ी की सुइयों की गति, और एक स्प्रिंग से बंधे द्रव्यमान का दोलन हैं।

14.2 सरल आवर्त गति (Simple Harmonic Motion - SHM)

**सरल आवर्त गति** एक विशेष प्रकार की आवर्त गति है जिसमें प्रत्यानयन बल (restoring force) विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है और हमेशा साम्यावस्था बिंदु की ओर निर्देशित होता है। यह हुक के नियम का पालन करती है: $F = -kx$, जहाँ $F$ प्रत्यानयन बल, $k$ बल नियतांक, और $x$ साम्यावस्था से विस्थापन है।

SHM का अवकल समीकरण (differential equation) निम्न है: $$ \frac{d^2x}{dt^2} + \frac{k}{m}x = 0 $$ इसका हल एक ज्यावक्रीय (sinusoidal) फलन है: $$ x(t) = A \cos(\omega t + \phi) $$ जहाँ:

Illustration of a simple pendulum performing simple harmonic motion, showing equilibrium position and amplitude.

14.3 SHM में वेग और त्वरण (Velocity and Acceleration in SHM)

SHM में कण का वेग ($v$) और त्वरण ($a$) समय के साथ बदलते रहते हैं:

14.4 SHM में ऊर्जा (Energy in SHM)

SHM में गतिमान कण की कुल यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है (घर्षण अनुपस्थित होने पर)।

14.5 सरल लोलक (Simple Pendulum)

**सरल लोलक** एक आदर्श निकाय है जिसमें एक द्रव्यमानहीन, अदृश्य डोरी से निलंबित एक बिंदु द्रव्यमान (बॉब) होता है, जो गुरुत्वाकर्षण के तहत दोलन करता है। छोटे कोणों के लिए, सरल लोलक की गति सरल आवर्त गति होती है।

सरल लोलक का आवर्तकाल ($T$) निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है: $$ T = 2\pi \sqrt{\frac{L}{g}} $$ जहाँ $L$ लोलक की लंबाई है और $g$ गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण है। यह सूत्र दर्शाता है कि आवर्तकाल बॉब के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि केवल लंबाई और गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता है।

14.6 अवमंदित सरल आवर्त गति (Damped Simple Harmonic Motion)

वास्तविक प्रणालियों में, दोलन करने वाली वस्तुएँ हमेशा घर्षण या वायु प्रतिरोध जैसे प्रतिरोधक बलों का अनुभव करती हैं। ये बल दोलन की ऊर्जा को कम करते हैं, जिससे आयाम समय के साथ धीरे-धीरे कम होता जाता है। इस प्रकार के दोलनों को **अवमंदित दोलन** कहते हैं।

अवमंदन बल आमतौर पर वेग के अनुक्रमानुपाती होता है: $F_d = -bv$, जहाँ $b$ अवमंदन नियतांक है। अवमंदित दोलन का आयाम चरघातांकी रूप से क्षय होता है।

14.7 प्रणोदित दोलन और अनुनाद (Forced Oscillations and Resonance)

**प्रणोदित दोलन** तब होते हैं जब एक दोलक को एक बाहरी, आवर्तक बल द्वारा उसकी अपनी प्राकृतिक आवृत्ति के अलावा किसी अन्य आवृत्ति पर दोलन करने के लिए मजबूर किया जाता है। बाहरी बल की आवृत्ति को **प्रणोदक आवृत्ति (Driving Frequency)** कहते हैं।

**अनुनाद (Resonance)** एक विशेष परिघटना है जो तब होती है जब प्रणोदक आवृत्ति दोलक की प्राकृतिक आवृत्ति (जिस पर वह बिना किसी बाहरी बल के दोलन करता है) के बराबर हो जाती है। इस स्थिति में, दोलक का आयाम नाटकीय रूप से बढ़ जाता है, जिससे बहुत बड़े आयाम के दोलन उत्पन्न होते हैं। अनुनाद के उदाहरणों में झूले को सही समय पर धक्का देना, रेडियो को एक विशेष आवृत्ति पर ट्यून करना, और सेना के सैनिकों को पुल पर कदमताल न करने का निर्देश देना (ताकि पुल की प्राकृतिक आवृत्ति के साथ अनुनाद न हो और पुल ढहने का खतरा न हो) शामिल हैं।

Graph showing resonance with amplitude peaking at natural frequency.

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. दोलन क्या है?

    दोलन एक प्रकार की आवर्त गति है जिसमें कोई वस्तु एक निश्चित साम्यावस्था बिंदु के आगे-पीछे गति करती है।

  2. आवर्तकाल और आवृत्ति के बीच क्या संबंध है?

    आवर्तकाल (T) आवृत्ति ($\nu$) का व्युत्क्रम होता है, अर्थात $\nu = 1/T$।

  3. सरल आवर्त गति में प्रत्यानयन बल किस पर निर्भर करता है?

    सरल आवर्त गति में प्रत्यानयन बल साम्यावस्था से विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है ($F = -kx$)।

  4. सरल लोलक का आवर्तकाल किस पर निर्भर नहीं करता है?

    सरल लोलक का आवर्तकाल बॉब के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।

  5. अनुनाद कब होता है?

    अनुनाद तब होता है जब प्रणोदक आवृत्ति दोलक की प्राकृतिक आवृत्ति के बराबर हो जाती है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. सरल आवर्त गति में अधिकतम वेग और त्वरण कहाँ होता है?

    सरल आवर्त गति में अधिकतम वेग साम्यावस्था बिंदु पर होता है, जबकि अधिकतम त्वरण चरम स्थितियों (अधिकतम विस्थापन) पर होता है।

  2. अवमंदित दोलन क्या हैं?

    अवमंदित दोलन वे होते हैं जिनमें घर्षण या वायु प्रतिरोध जैसे प्रतिरोधक बलों के कारण दोलन की ऊर्जा धीरे-धीरे कम होती जाती है, जिससे आयाम समय के साथ क्षय होता है।

  3. प्रणोदित दोलन और मुक्त दोलन में क्या अंतर है?

    मुक्त दोलन तब होते हैं जब एक प्रणाली अपनी प्राकृतिक आवृत्ति पर बाहरी बल के बिना दोलन करती है। प्रणोदित दोलन तब होते हैं जब एक बाहरी, आवर्तक बल प्रणाली को किसी विशेष आवृत्ति पर दोलन करने के लिए मजबूर करता है।

  4. सरल लोलक के आवर्तकाल का सूत्र लिखें और उसमें प्रयुक्त प्रतीकों का अर्थ बताएँ।

    सरल लोलक का आवर्तकाल $T = 2\pi \sqrt{L/g}$ होता है, जहाँ $T$ आवर्तकाल, $L$ लोलक की लंबाई, और $g$ गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. सरल आवर्त गति (SHM) की विशेषताओं और इसके ऊर्जा संरक्षण को समझाएँ।

    सरल आवर्त गति (SHM) आवर्त गति का एक विशेष और महत्वपूर्ण रूप है जिसमें प्रत्यानयन बल हमेशा साम्यावस्था बिंदु की ओर निर्देशित होता है और साम्यावस्था से विस्थापन के सीधे आनुपातिक होता है ($F = -kx$)। इस गति में कण साम्यावस्था बिंदु के आगे-पीछे एक ज्यावक्रीय तरीके से दोलन करता है। SHM की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं एक निश्चित आवर्तकाल और आवृत्ति, जो दोलक के गुणों पर निर्भर करती है न कि आयाम पर (छोटे आयामों के लिए), और एक साम्यावस्था बिंदु जिसके चारों ओर दोलन होता है। इस गति में वेग और त्वरण समय के साथ लगातार बदलते रहते हैं; अधिकतम वेग साम्यावस्था पर होता है और अधिकतम त्वरण चरम स्थितियों पर होता है।

    SHM में कुल यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है, बशर्ते कोई ऊर्जा हानि न हो (जैसे घर्षण)। दोलक की कुल ऊर्जा गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा का योग होती है। जब कण साम्यावस्था पर होता है, तो उसकी स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम (या शून्य) होती है और गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है। जब कण अपनी चरम स्थितियों पर होता है (अधिकतम विस्थापन पर), तो उसकी गतिज ऊर्जा शून्य होती है और स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है। इन दोनों ऊर्जाओं का योग, जो $\frac{1}{2}kA^2$ या $\frac{1}{2}m\omega^2A^2$ के बराबर होता है, पूरे दोलन के दौरान स्थिर रहता है। यह ऊर्जा का निरंतर रूपांतरण है - गतिज ऊर्जा का स्थितिज ऊर्जा में और इसके विपरीत - जो दोलन को बनाए रखता है।

  2. अनुनाद क्या है? इसके कुछ उदाहरणों और परिणामों पर चर्चा करें।

    अनुनाद एक भौतिक परिघटना है जो तब होती है जब एक प्रणोदित दोलक पर लगाए गए बाहरी आवर्तक बल की आवृत्ति दोलक की प्राकृतिक आवृत्ति के बराबर हो जाती है। प्राकृतिक आवृत्ति वह आवृत्ति है जिस पर कोई प्रणाली अपनी ऊर्जा को खोए बिना मुक्त रूप से दोलन करती है। जब प्रणोदक आवृत्ति प्राकृतिक आवृत्ति से मेल खाती है, तो प्रणाली अत्यधिक दक्षता के साथ ऊर्जा को अवशोषित करती है, जिससे दोलनों का आयाम नाटकीय रूप से बढ़ जाता है। यह वृद्धि तब तक जारी रह सकती है जब तक प्रणाली की कुछ ऊर्जा हानि तंत्र (जैसे अवमंदन) उस ऊर्जा को अवशोषित न कर लें जो प्रणोदक बल द्वारा डाली जा रही है।

    अनुनाद के कई आम और महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। एक बच्चे को झूले पर धक्का देना अनुनाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण है; यदि आप सही समय पर (झूले की प्राकृतिक आवृत्ति पर) धक्का देते हैं, तो झूला बहुत ऊँचा जाता है। रेडियो और टेलीविजन में, हम एक विशेष स्टेशन को ट्यून करके उसके ट्रांसमीटर की आवृत्ति के साथ रिसीवर को अनुनाद में लाते हैं। अनुनाद के विनाशकारी परिणाम भी हो सकते हैं, यदि इसे ध्यान में न रखा जाए। उदाहरण के लिए, 1940 में वाशिंगटन राज्य में टैकोमा नैरो ब्रिज का ढहना अनुनाद के कारण हुआ था, जहाँ हवा की आवृत्ति पुल की प्राकृतिक आवृत्ति के साथ मेल खा गई थी, जिससे पुल में बड़े-बड़े दोलन हुए और अंततः वह ढह गया। इस कारण से, सेना के सैनिकों को पुलों पर मार्च करते समय कदमताल तोड़ने का निर्देश दिया जाता है ताकि पुल में अनुनाद उत्पन्न न हो।


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