अध्याय 15: तरंगें (Waves)
परिचय
भौतिकी में, एक **तरंग** ऊर्जा का एक विक्षोभ है जो माध्यम में कणों के शुद्ध स्थानांतरण के बिना एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैलता है। तरंगें हमारे दैनिक जीवन में हर जगह मौजूद हैं - ध्वनि, प्रकाश, रेडियो तरंगें, भूकंप की तरंगें, और पानी की तरंगें सभी तरंगें हैं। इस अध्याय में, हम तरंगों के मूलभूत सिद्धांतों, उनके प्रकारों, गुणों और विभिन्न माध्यमों में उनके व्यवहार का अध्ययन करेंगे।
15.1 तरंगों के प्रकार (Types of Waves)
तरंगों को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है:
15.1.1 माध्यम की आवश्यकता के आधार पर (Based on Requirement of Medium)
- **यांत्रिक तरंगें (Mechanical Waves):** वे तरंगें जिन्हें संचरण के लिए एक भौतिक माध्यम (ठोस, तरल या गैस) की आवश्यकता होती है। ये तरंगें माध्यम के कणों के दोलन से उत्पन्न होती हैं।
- उदाहरण: ध्वनि तरंगें, पानी की तरंगें, भूकंपीय तरंगें, डोरी में तरंगें।
- **विद्युतचुंबकीय तरंगें (Electromagnetic Waves):** वे तरंगें जिन्हें संचरण के लिए किसी भौतिक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। ये तरंगें दोलनशील विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों से बनी होती हैं और निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं।
- उदाहरण: प्रकाश तरंगें, रेडियो तरंगें, माइक्रोवेव, एक्स-रे, गामा किरणें।
15.1.2 कणों के कंपन की दिशा के आधार पर (Based on Direction of Particle Vibration)
- **अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse Waves):** वे तरंगें जिनमें माध्यम के कण तरंग के संचरण की दिशा के **लंबवत (perpendicular)** कंपन करते हैं।
- उदाहरण: डोरी में तरंगें, प्रकाश तरंगें (विद्युतचुंबकीय तरंगें अनुप्रस्थ होती हैं)।
- **अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal Waves):** वे तरंगें जिनमें माध्यम के कण तरंग के संचरण की दिशा के **समांतर (parallel)** कंपन करते हैं।
- उदाहरण: ध्वनि तरंगें, स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगें।
15.2 तरंग गति की विशेषताएँ (Characteristics of Wave Motion)
एक तरंग को वर्णित करने के लिए कई महत्वपूर्ण पद और विशेषताएँ हैं:
- **आयाम (Amplitude - A):** माध्यम के कणों का अपनी माध्य स्थिति से अधिकतम विस्थापन। यह तरंग द्वारा वहन की गई ऊर्जा से संबंधित है।
- **तरंगदैर्ध्य (Wavelength - $\lambda$):** तरंग में दो क्रमागत श्रृंगों (crests) या गर्तों (troughs) (अनुप्रस्थ तरंगों में), या दो क्रमागत संपीड़न (compressions) या विरलन (rarefactions) (अनुदैर्ध्य तरंगों में) के बीच की दूरी। यह एक पूर्ण चक्र की लंबाई है।
- **आवृत्ति (Frequency - $\nu$ या f):** प्रति सेकंड एक निश्चित बिंदु से गुजरने वाले पूर्ण तरंग चक्रों की संख्या। इसकी SI इकाई हर्ट्ज़ (Hz) है।
- **आवर्तकाल (Time Period - T):** एक पूर्ण तरंग चक्र को एक निश्चित बिंदु से गुजरने में लगने वाला समय। यह आवृत्ति का व्युत्क्रम होता है ($T = 1/\nu$)।
- **तरंग वेग (Wave Velocity - v):** वह गति जिससे तरंग ऊर्जा माध्यम में संचरित होती है। यह तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति के गुणनफल के बराबर होता है: $$ v = \nu \lambda $$
- **कला (Phase):** एक तरंग में किसी भी क्षण कण की गति की अवस्था (स्थिति और गति की दिशा) का वर्णन करता है।
15.3 तरंगों का अध्यारोपण सिद्धांत (Principle of Superposition of Waves)
**अध्यारोपण सिद्धांत** बताता है कि जब दो या दो से अधिक तरंगें एक ही माध्यम में एक साथ यात्रा करती हैं, तो परिणामी विस्थापन प्रत्येक व्यक्तिगत तरंग के कारण विस्थापनों का सदिश योग होता है।
इस सिद्धांत के कारण कई घटनाएँ होती हैं:
- **व्यतिकरण (Interference):** जब दो या दो से अधिक तरंगें एक ही माध्यम में मिलती हैं और एक दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करती हैं, तो वे एक नया तरंग पैटर्न बनाती हैं। यह **रचनात्मक (constructive)** या **विनाशी (destructive)** हो सकता है।
- **अप्रगामी तरंगें (Standing Waves):** जब दो समान, विपरीत दिशा में यात्रा करने वाली तरंगें मिलती हैं, तो वे एक अप्रगामी तरंग बनाती हैं। इन तरंगों में कुछ बिंदु हमेशा शून्य विस्थापन पर रहते हैं (जिन्हें **निस्पंद - Nodes** कहा जाता है) और कुछ बिंदु अधिकतम विस्थापन पर दोलन करते हैं (जिन्हें **प्रस्पंद - Antinodes** कहा जाता है)।
- **विवर्तन (Diffraction):** जब एक तरंग किसी बाधा के किनारे या एक छोटे छिद्र से होकर गुजरती है तो उसका मुड़ना या फैलना।
15.4 ध्वनि तरंगें (Sound Waves)
ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंगें हैं जिन्हें संचरण के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है। वे संपीड़न (उच्च दाब) और विरलन (कम दाब) के रूप में यात्रा करती हैं।
- **ध्वनि की चाल (Speed of Sound):** यह माध्यम के प्रत्यास्थता (elasticity) और घनत्व पर निर्भर करती है। ठोस में सबसे तेज, तरल में धीमी और गैस में सबसे धीमी। $$ v = \sqrt{\frac{B}{\rho}} $$ जहाँ $B$ माध्यम का आयतन प्रत्यास्थता गुणांक (Bulk Modulus) और $\rho$ घनत्व है।
- **ध्वनि के गुण (Properties of Sound):**
- **तीव्रता (Intensity):** प्रति इकाई क्षेत्रफल में प्रति सेकंड संचरित होने वाली ध्वनि ऊर्जा। यह ध्वनि की प्रबलता को निर्धारित करती है।
- **पिच (Pitch):** ध्वनि की आवृत्ति द्वारा निर्धारित किया जाता है। उच्च आवृत्ति = उच्च पिच।
- **गुणवत्ता या टिम्बर (Quality or Timbre):** ओवरटोन (overtones) की संख्या और तीव्रता से निर्धारित होती है, जो विभिन्न वाद्ययंत्रों से उत्पन्न ध्वनियों में अंतर करती है।
15.5 डॉप्लर प्रभाव (Doppler Effect)
**डॉप्लर प्रभाव** ध्वनि या प्रकाश के स्रोत और प्रेक्षक के बीच आपेक्षिक गति के कारण ध्वनि की आवृत्ति (या प्रकाश के रंग) में कथित परिवर्तन है।
- जब स्रोत प्रेक्षक के पास आता है, तो कथित आवृत्ति बढ़ जाती है (ध्वनि के लिए उच्च पिच, प्रकाश के लिए नीला विस्थापन)।
- जब स्रोत प्रेक्षक से दूर जाता है, तो कथित आवृत्ति घट जाती है (ध्वनि के लिए कम पिच, प्रकाश के लिए लाल विस्थापन)।
ध्वनि के लिए डॉप्लर प्रभाव का सूत्र (जब माध्यम स्थिर हो):
$$ \nu' = \nu \left( \frac{v \pm v_o}{v \mp v_s} \right) $$जहाँ $\nu'$ कथित आवृत्ति, $\nu$ वास्तविक आवृत्ति, $v$ माध्यम में ध्वनि की चाल, $v_o$ प्रेक्षक की चाल, और $v_s$ स्रोत की चाल है। (+ve $v_o$ जब प्रेक्षक स्रोत की ओर बढ़े, -ve $v_o$ जब प्रेक्षक स्रोत से दूर जाए; -ve $v_s$ जब स्रोत प्रेक्षक की ओर बढ़े, +ve $v_s$ जब स्रोत प्रेक्षक से दूर जाए)।
---पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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तरंग को परिभाषित करें।
तरंग ऊर्जा का एक विक्षोभ है जो माध्यम में कणों के शुद्ध स्थानांतरण के बिना एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैलता है।
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अनुप्रस्थ और अनुदैर्ध्य तरंगों के बीच मुख्य अंतर क्या है?
अनुप्रस्थ तरंगों में कण तरंग संचरण की दिशा के लंबवत कंपन करते हैं, जबकि अनुदैर्ध्य तरंगों में कण तरंग संचरण की दिशा के समानांतर कंपन करते हैं।
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ध्वनि तरंगें किस प्रकार की तरंगें हैं?
ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंगें हैं।
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तरंगदैर्ध्य की SI इकाई क्या है?
तरंगदैर्ध्य की SI इकाई मीटर (m) है।
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डॉप्लर प्रभाव क्या है?
डॉप्लर प्रभाव ध्वनि या प्रकाश के स्रोत और प्रेक्षक के बीच आपेक्षिक गति के कारण आवृत्ति में कथित परिवर्तन है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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यांत्रिक और विद्युतचुंबकीय तरंगों को उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
यांत्रिक तरंगों को संचरण के लिए एक भौतिक माध्यम की आवश्यकता होती है (जैसे ध्वनि तरंगें और पानी की तरंगें)। इसके विपरीत, विद्युतचुंबकीय तरंगों को किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है और वे निर्वात में भी यात्रा कर सकती हैं (जैसे प्रकाश तरंगें और रेडियो तरंगें)।
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तरंग गति के आयाम और आवृत्ति को परिभाषित करें।
आयाम माध्यम के कणों का अपनी माध्य स्थिति से अधिकतम विस्थापन है, जो तरंग की ऊर्जा को दर्शाता है। आवृत्ति प्रति सेकंड एक निश्चित बिंदु से गुजरने वाले पूर्ण तरंग चक्रों की संख्या है, जिसकी इकाई हर्ट्ज़ (Hz) है।
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अप्रगामी तरंगें कैसे बनती हैं?
अप्रगामी तरंगें तब बनती हैं जब दो समान, विपरीत दिशा में यात्रा करने वाली तरंगें एक ही माध्यम में मिलती हैं और अध्यारोपित होती हैं। इनमें कुछ बिंदु (निस्पंद) हमेशा स्थिर रहते हैं, जबकि अन्य बिंदु (प्रस्पंद) अधिकतम आयाम के साथ दोलन करते हैं।
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ध्वनि की चाल किन कारकों पर निर्भर करती है?
ध्वनि की चाल माध्यम के प्रत्यास्थता गुणांक (या संपीड्यता) और माध्यम के घनत्व पर निर्भर करती है। यह आमतौर पर ठोस में सबसे तेज़, तरल में धीमी और गैस में सबसे धीमी होती है, और तापमान के साथ भी बदलती है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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तरंगों के अध्यारोपण सिद्धांत को समझाएं और व्यतिकरण तथा अप्रगामी तरंगों की अवधारणाओं को कैसे उत्पन्न करता है, इसका वर्णन करें।
तरंगों का अध्यारोपण सिद्धांत भौतिकी का एक मौलिक सिद्धांत है जो बताता है कि जब दो या दो से अधिक तरंगें एक ही माध्यम में एक साथ यात्रा करती हैं, तो माध्यम में किसी भी बिंदु पर परिणामी विस्थापन प्रत्येक व्यक्तिगत तरंग के कारण होने वाले विस्थापनों का सदिश योग होता है। यह सिद्धांत रैखिक माध्यमों पर लागू होता है जहाँ तरंगें एक-दूसरे को प्रभावित किए बिना स्वतंत्र रूप से संचरित होती हैं। यह तरंगों के अद्वितीय व्यवहार को समझने की कुंजी है, खासकर जब वे मिलती हैं।
अध्यारोपण सिद्धांत से दो महत्वपूर्ण घटनाएँ उत्पन्न होती हैं: **व्यतिकरण** और **अप्रगामी तरंगें**। व्यतिकरण तब होता है जब दो या दो से अधिक सुसंगत तरंगें (एक ही आवृत्ति और स्थिर कला अंतर वाली) मिलती हैं। यदि श्रृंग श्रृंग से या गर्त गर्त से मिलते हैं, तो परिणामी आयाम बढ़ता है, जिससे **रचनात्मक व्यतिकरण** होता है। यदि एक श्रृंग एक गर्त से मिलता है, तो वे एक-दूसरे को रद्द कर देते हैं, जिससे **विनाशी व्यतिकरण** होता है। अप्रगामी तरंगें व्यतिकरण का एक विशेष मामला हैं जो तब होती हैं जब दो समान तरंगें विपरीत दिशाओं में यात्रा करती हैं और एक दूसरे पर अध्यारोपित होती हैं। परिणामी तरंग पैटर्न माध्यम में स्थिर प्रतीत होता है, जिसमें विशिष्ट बिंदु होते हैं जहाँ विस्थापन हमेशा शून्य होता है (निस्पंद) और अन्य बिंदु जहाँ विस्थापन अधिकतम होता है (प्रस्पंद)। अप्रगामी तरंगें स्ट्रिंग वाले वाद्ययंत्रों और वायु स्तंभों में ध्वनि उत्पादन में महत्वपूर्ण हैं।
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डॉप्लर प्रभाव की विस्तृत व्याख्या करें और इसके अनुप्रयोगों पर चर्चा करें।
डॉप्लर प्रभाव एक ऐसा परिघटना है जिसमें ध्वनि या प्रकाश के स्रोत और प्रेक्षक के बीच आपेक्षिक गति के कारण ध्वनि की आवृत्ति (या प्रकाश के रंग) में कथित परिवर्तन होता है। जब स्रोत प्रेक्षक की ओर बढ़ रहा होता है, तो तरंगें प्रेक्षक तक पहुंचने से पहले "संपीड़ित" हो जाती हैं, जिससे कथित आवृत्ति बढ़ जाती है (ध्वनि के लिए उच्च पिच, प्रकाश के लिए नीला विस्थापन)। इसके विपरीत, जब स्रोत प्रेक्षक से दूर जा रहा होता है, तो तरंगें "खिंच" जाती हैं, जिससे कथित आवृत्ति कम हो जाती है (ध्वनि के लिए कम पिच, प्रकाश के लिए लाल विस्थापन)। यह प्रभाव तब भी होता है जब प्रेक्षक स्रोत की ओर या उससे दूर जा रहा होता है। यह गतिशीलता महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें बिना स्पर्श के वस्तुओं की गति को मापने की अनुमति देती है।
डॉप्लर प्रभाव के कई महत्वपूर्ण अनुप्रयोग हैं। **ध्वनि** के संदर्भ में, इसका उपयोग राडार गन में वाहनों की गति को मापने के लिए किया जाता है, सोनार में पानी के नीचे की वस्तुओं (जैसे पनडुब्बियां) की गति और दूरी का पता लगाने के लिए, और चिकित्सा इमेजिंग में रक्त प्रवाह को मापने के लिए (डॉप्लर अल्ट्रासाउंड)। **प्रकाश** के संदर्भ में, यह खगोल विज्ञान में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। दूर की आकाशगंगाओं से आने वाले प्रकाश के लाल विस्थापन का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि वे हमसे कितनी तेजी से दूर जा रही हैं, जिससे ब्रह्मांड के विस्तार के प्रमाण मिलते हैं। मौसम विज्ञान में, डॉप्लर रडार तूफानों के भीतर हवा की गति को मापकर गंभीर मौसम की भविष्यवाणी करने में मदद करता है। इन विविध अनुप्रयोगों से पता चलता है कि डॉप्लर प्रभाव प्रकृति में आपेक्षिक गति को समझने और मापने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)