अध्याय 4: समतल में गति (Motion in a Plane)

परिचय

पिछले अध्याय में, हमने एक सीधी रेखा में गति का अध्ययन किया। अब हम समतल में गति का विश्लेषण करेंगे, जहाँ वस्तुएँ दो आयामों में चलती हैं। इस अध्याय में, हम सदिशों (vectors) की अवधारणा, प्रक्षेप्य गति (projectile motion), वृत्तीय गति (circular motion), और सापेक्ष वेग (relative velocity) जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे। समतल में गति का अध्ययन हमारे आस-पास की दुनिया में होने वाली कई घटनाओं को समझने के लिए मौलिक है, जैसे कि फेंके गए पत्थर का पथ या ग्रहों की गति।

4.1 सदिश और अदिश राशियाँ (Scalars and Vectors)

भौतिक राशियों को उनकी दिशा और परिमाण के आधार पर दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:

सदिशों का निरूपण (representation), विभिन्न प्रकार के सदिश (जैसे शून्य सदिश, इकाई सदिश), और सदिशों के जोड़-घटाव के नियम (जैसे त्रिभुज नियम, समांतर चतुर्भुज नियम) इस अध्याय के महत्वपूर्ण भाग हैं।

4.2 स्थिति सदिश और विस्थापन सदिश (Position and Displacement Vectors)

**स्थिति सदिश (Position Vector):** यह मूल-बिंदु (origin) से किसी कण की स्थिति को दर्शाने वाला सदिश है। यह एक निश्चित बिंदु के सापेक्ष कण की स्थिति का वर्णन करता है।

**विस्थापन सदिश (Displacement Vector):** यह किसी कण की प्रारंभिक स्थिति से अंतिम स्थिति तक के परिवर्तन को दर्शाता है। यह प्रारंभिक और अंतिम बिंदुओं को मिलाने वाला एक सीधा रेखाखंड होता है, जिसकी दिशा प्रारंभिक से अंतिम बिंदु की ओर होती है।

विस्थापन (displacement) और दूरी (distance) के बीच का अंतर महत्वपूर्ण है; दूरी एक अदिश राशि है जबकि विस्थापन एक सदिश राशि है।

Illustration showing position and displacement vectors in a 2D plane.

4.3 वेग और त्वरण सदिश (Velocity and Acceleration Vectors)

**औसत वेग (Average Velocity):** कुल विस्थापन को कुल समय से विभाजित करने पर प्राप्त होता है। यह एक सदिश राशि है।

**तात्कालिक वेग (Instantaneous Velocity):** किसी विशेष क्षण पर कण का वेग। यह स्थिति सदिश के समय के सापेक्ष अवकलज (derivative) के बराबर होता है। तात्कालिक वेग की दिशा हमेशा पथ के स्पर्शरेखीय होती है।

**औसत त्वरण (Average Acceleration):** वेग में कुल परिवर्तन को कुल समय से विभाजित करने पर प्राप्त होता है।

**तात्कालिक त्वरण (Instantaneous Acceleration):** किसी विशेष क्षण पर कण का त्वरण। यह वेग सदिश के समय के सापेक्ष अवकलज के बराबर होता है।

4.4 प्रक्षेप्य गति (Projectile Motion)

प्रक्षेप्य गति दो आयामों में गति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। जब किसी वस्तु को क्षैतिज से कुछ कोण पर फेंका जाता है और वह केवल गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में गति करती है, तो उसकी गति को प्रक्षेप्य गति कहते हैं।

4.5 एकसमान वृत्तीय गति (Uniform Circular Motion)

जब कोई वस्तु एक वृत्ताकार पथ पर स्थिर चाल (speed) से चलती है, तो उसकी गति को एकसमान वृत्तीय गति कहते हैं। यद्यपि चाल स्थिर रहती है, लेकिन वेग की दिशा लगातार बदलती रहती है, इसलिए वस्तु त्वरित होती है।

यह बल ही वस्तु को वृत्तीय पथ पर बनाए रखता है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. अदिश राशि का एक उदाहरण दें।

    द्रव्यमान एक अदिश राशि का उदाहरण है।

  2. प्रक्षेप्य गति में क्षैतिज दिशा में त्वरण कितना होता है (वायु प्रतिरोध की उपेक्षा करने पर)?

    प्रक्षेप्य गति में क्षैतिज दिशा में त्वरण शून्य होता है।

  3. एकसमान वृत्तीय गति में वेग का परिमाण बदलता है या नहीं?

    एकसमान वृत्तीय गति में वेग का परिमाण (चाल) नहीं बदलता, लेकिन दिशा लगातार बदलती रहती है।

  4. तात्कालिक वेग की दिशा क्या होती है?

    तात्कालिक वेग की दिशा हमेशा कण के पथ के स्पर्शरेखीय (tangential) होती है।

  5. गुरुत्वाकर्षण के अधीन गति करने वाले प्रक्षेप्य का पथ कैसा होता है?

    गुरुत्वाकर्षण के अधीन गति करने वाले प्रक्षेप्य का पथ परवलयिक (parabolic) होता है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. सदिश और अदिश राशियों में क्या अंतर है?

    अदिश राशियों में केवल परिमाण होता है (जैसे दूरी, समय), जबकि सदिश राशियों में परिमाण और दिशा दोनों होते हैं (जैसे विस्थापन, वेग)। सदिशों के लिए विशेष जोड़-घटाव नियम होते हैं।

  2. विस्थापन और दूरी के बीच अंतर स्पष्ट करें।

    दूरी वस्तु द्वारा तय किए गए पथ की कुल लंबाई है और एक अदिश राशि है। विस्थापन प्रारंभिक और अंतिम बिंदु के बीच की सीधी रेखा दूरी है, और यह एक सदिश राशि है जिसमें दिशा भी शामिल होती है।

  3. अभिकेंद्री त्वरण क्या है और इसकी दिशा क्या होती है?

    अभिकेंद्री त्वरण एकसमान वृत्तीय गति में किसी वस्तु का त्वरण है, जो हमेशा वृत्ताकार पथ के केंद्र की ओर निर्देशित होता है। इसका परिमाण $v^2/r$ होता है।

  4. सापेक्ष वेग की अवधारणा का क्या महत्व है?

    सापेक्ष वेग की अवधारणा का उपयोग एक गतिशील प्रेक्षक के सापेक्ष किसी वस्तु की गति को समझने और उसका विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। यह नाव-नदी समस्याओं या बारिश में व्यक्ति की गति जैसी स्थितियों में उपयोगी है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. प्रक्षेप्य गति की अवधारणा को विस्तृत रूप से समझाएँ और इसके प्रमुख घटकों का उल्लेख करें।

    प्रक्षेप्य गति वह गति है जिसमें किसी वस्तु को गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में फेंका जाता है और वह केवल गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में ही गति करती है (वायु प्रतिरोध को नगण्य मानते हुए)। इसका सबसे आम उदाहरण एक फुटबॉल को किक करना या एक गेंद को हवा में फेंकना है। इस गति को दो स्वतंत्र घटकों में विभाजित करके विश्लेषण किया जा सकता है: एक क्षैतिज घटक और एक ऊर्ध्वाधर घटक। क्षैतिज दिशा में, वस्तु पर कोई बल कार्य नहीं करता (वायु प्रतिरोध की उपेक्षा), इसलिए क्षैतिज वेग स्थिर रहता है, और त्वरण शून्य होता है।

    ऊर्ध्वाधर दिशा में, वस्तु गुरुत्वाकर्षण के त्वरण ($g$) के अधीन होती है, जो हमेशा नीचे की ओर कार्य करता है। इस ऊर्ध्वाधर गति को एक सीधी रेखा में समान त्वरण वाली गति के रूप में माना जा सकता है। इन दो स्वतंत्र गतियों के संयोजन से प्रक्षेप्य का पथ एक परवलय (parabola) होता है। प्रक्षेप्य गति के मुख्य घटक हैं: **उड़ान का समय (Time of Flight)**, जो वस्तु द्वारा हवा में बिताया गया कुल समय है; **अधिकतम ऊँचाई (Maximum Height)**, जो वस्तु द्वारा ऊर्ध्वाधर रूप से प्राप्त की गई अधिकतम दूरी है; और **क्षैतिज परास (Horizontal Range)**, जो वस्तु द्वारा तय की गई अधिकतम क्षैतिज दूरी है। इन सभी घटकों को प्रारंभिक वेग और प्रक्षेपण कोण का उपयोग करके गणितीय रूप से व्युत्पन्न किया जा सकता है, जो प्रक्षेप्य गति को भौतिकी में एक मौलिक और अनुप्रयुक्त विषय बनाता है।

  2. एकसमान वृत्तीय गति क्या है? समझाएँ कि इस गति में वस्तु की चाल स्थिर होने पर भी वह त्वरित क्यों होती है।

    एकसमान वृत्तीय गति तब होती है जब कोई वस्तु एक वृत्ताकार पथ पर एक स्थिर चाल (constant speed) से चलती है। उदाहरण के लिए, एक धागे से बंधे पत्थर को एक क्षैतिज वृत्त में घुमाना या एक उपग्रह का पृथ्वी के चारों ओर एक स्थिर कक्षीय चाल से घूमना। इस गति की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यद्यपि वस्तु की चाल (वेग का परिमाण) समय के साथ नहीं बदलती है, वस्तु का वेग (velocity) लगातार बदलता रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वेग एक सदिश राशि है जिसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। वृत्तीय पथ पर चलने के दौरान, वस्तु की गति की दिशा लगातार बदलती रहती है, हमेशा वृत्त के स्पर्शरेखीय रहती है।

    चूँकि वेग की दिशा में परिवर्तन होता है, इसका मतलब है कि वेग बदल रहा है। और वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसलिए, भले ही चाल स्थिर हो, वस्तु त्वरित होती है। इस त्वरण को **अभिकेंद्री त्वरण (centripetal acceleration)** कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'केंद्र की ओर निर्देशित त्वरण'। यह त्वरण हमेशा वृत्ताकार पथ के केंद्र की ओर निर्देशित होता है। इसका परिमाण $a_c = v^2/r$ द्वारा दिया जाता है, जहाँ $v$ वस्तु की चाल है और $r$ वृत्ताकार पथ की त्रिज्या है। इस अभिकेंद्री त्वरण को उत्पन्न करने के लिए एक अभिकेंद्री बल की आवश्यकता होती है, जो न्यूटन के गति के दूसरे नियम के अनुसार $F_c = ma_c = mv^2/r$ होता है। यही बल वस्तु को वृत्तीय पथ पर बनाए रखता है।


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